काश तुम मेरे होते
क्या तुमसे अच्छा क्या कोई मुझे समझ पायेगा,
मेरी बेरंग दुनिया में क्या कोई रंग लायेगा,
मेरे बन्द होठों को क्या कोई अल्फाज दे पायेगा,
मेरी अधूरी मुस्कान को क्या कोई पूरी कर पायेगा।
सूखे समंदर की प्यास क्या किसी और को समझ आयेगी,
मेरी अधूरी कहानी कहाँ तुम बिन पूरी हो पायेगी,
हे प्रियवर, झल्ली खुद से पूछती है ये सवाल,
क्या तुम बनोगे जबाव ।
जबाव मैने ढूंढ लिया था,
पर तुम कर ना सकी उस पर इकबाल,
प्रश्न आज भी प्रश्न रह गया,
तुमने किसी और का हाथ साथ अपना लिया ।
आज तुम बिन मेरी दुनिया बेरंग है,
मेरी अधूरी मुस्कान है, होठ बन्द हैं,
तुम बिन मेरी कहानी अधूरी है झल्ली,
जबाव मैं दे चुका था, तुम हमराही क्यों न बन सकीं,
आज भी यही एक सवाल है।