Monday 26 August 2019

मजबूर हो रही है

मजबूरी

वो आज मुझसे दूर हो रही है,
ना चाहते हुए भी मजबूर हो रही है।

वो उन अनचाहे रिश्तों को निभा रही है,
उन्हें निभाते-निभाते अपना वजूद खोती जा रही है।

अपने आंसू और दर्द को अब मुझे नहीं बता रही है वो,
शायद वो मुझे अपना नहीं समझती, मुझे पराया करती जा रही है वो।

कहती है मुझे अब तुझसे दूर जाना है,
पर शायद उसे नहीं पता, मेरे और करीब आती जा रही है् वो।

माना अब हम एक साथ नहीं, 
पर आज भी हम दोनों को उस दूरी का अहसास नहीं।

आज भी करती है वो मेरी फिकर पर जताना चाहती नहीं,
दोबार से सब बयान करके मुझे सताना चाहती नहीं।

मैं उसे अपने से ज्यादा जानता हूँ,
पर उस नादां को कौन समझाये, मैं उसके दर्द को उससे पहले पहचानता हूँ।


"मैगी"

Friday 16 August 2019

हाँ मैं मिस करता हूं

कैसे पीछे छोड दूँ




हाँ मैं मिस करता हूं , उसके हाथ का खाना 

उसके साथ घूमने जाना, उसके  साथ बिताए लम्हे ।



हाँ मैं जानता हूं, वो आज नहीं करती अपनी मोहब्बत का इजहार

क्युकी अब उसने बसा लिया है किसी और के साथ अपना घर - संसार।



हाँ मैं जानता हूं, वो आज भी मुझसे बेइंतहा मोहब्बत करती है,

बस इस समाज और परिवार के कारण मुझे अपनाने में डरती है।



हाँ मैं जानता हूं मै ही हूं उसका पहला प्यार, जिसे वो अपना ना सकी

उसकी भी कुछ मजबूरियां रही होंगी, तभी तो मेरे साथ को अपना बना ना सकी।



हाँ मै जानता हूं कि वो नहीं आएगी अब मेरे पास ,

पर में उसका इन्तज़ार करना केसे छोड़ दू
उन प्यारे लम्हों को में कैसे पीछे छोड़ दू।


"मैगी"

तू मेरा कौन है

तू मेरा कौन है


तू हवा का ठण्डा झौका है,
कभी नाजुक तो कभी तूफां है,
हाँ मेरा गुजरा लम्हा है,
मगर तेरे बिन मेरा जीवन तन्हा है।
                                                    कुछ टूटा सा, कुछ रूठा सा है,
                                                    हर पल मेरे अधरों पर सजा सा है,
                                                    एक दोस्त तू मेरा सच्चा सा है,
                                                    मैं अगर रागिनी तू बीन सा है।
मेरे प्यासे नयनों में तू बहता झरना सा है,
गूँजता उर में मेरे तू एक नगमा सा है,
मैं चमकती बिजूरी सी, तू मेरा आसमां है,
जिसको टूटने की तलव नहीं तू वो एक सपना है।
                                                      तू मुझे पूछता है तू मेरा कौन है?
                                                      तू दूर है मगर पास है,
                                                      तू मेरे जीवन में सबसे खास है,
                                                      जज्बातों का बहाना नहीं बनाती,
                                                      तू मेरे दिल में धडकता खूबसूरत अहसास है।

                                                          "मीठी"
                                  

Thursday 15 August 2019

मेरे अजीज दोस्त

मेरे अजीज दोस्त


हसते थे, हसाते थे,
समझते थे, समझाते थे,
थोडी मेरी सुनते, थोडी अपनी बताते थे,
कुछ ऐसे अजीज दोस्त मेरे थे।

जब किसी रोज पलके बिछायें मैं बैठ जाया करती थी,
उदास दिल में गम छुपाये रखती थी,
वो हसी और ठिठोली से मुझे गुदगुदाया करते थे,
कुछ ऐसे अजीज दोस्त मेरे थे।

था मुझे शौक अपने विचारों को उनके समक्ष रखने का,
हर गलत बात टोकने का, उन्हे निखारने का,
वो सब मुझे मिलकर दार्शनिक बुलाते थे,
कुछ ऐसे अजीज दोस्त मेरे थे।

पाते थे जब कभी मुझको अकेला सा,
कभी सवेरा तो कभी सहारा बन जाया करते थे,
मेरे अंधेरों में वो उजालों सी किरण बन जाया करते थे,
कुछ ऐसे अजीज दोस्त मेरे थे।

वो दोस्त मेरे बहुत खूब थे,
मौज-मस्ती से भरपूर थे,
वो रौनक का बाजार लिये थे,
कुछ ऐसे अजीज दोस्त मेरे थे।

                                                "मीठी"

Tuesday 13 August 2019

बारिश- वर्षा

बारिश- वर्षा


बारिश जब-जब आती है, सबके चेहरे पर खुशियाँ छाती है,
कल-कल करती हुई नदियाँ बहती हैं, इठलाती है,
मानो मधुर-मधुर सा संगीत सबको सुनाती है,
बादलों की घुमड-घुमड, ठण्डी-ठण्डी पवन,
तन-मन को लुभाती है,
बारिश जब-जब आती है, सबके चेहरे पर खुशियाँ छाती है।

पेड, पौधे, लताए और फूलों पर,
बारिश की बूंदे मोती सी बनकर सज जाती है,
बागों मे खिलते फलों की सुगंध सबको भाती है,
रिमझिम बरखा रानी फूलों को खिलाती है,
बारिश जब-जब आती है, सबके चेहरे पर खुशियाँ छाती है।

बारिश की बूदें प्यासी धरती की प्यास बुझाती जाती है,
पेड-पौधे, जीव-जन्तु सबको जीवन दे जाती है,
भीषण गर्मी से बचाती है, शीतलता बरसाती है,
वर्षा बहार भू पर जीवन की ज्योति जलाती है,
बारिश जब-जब आती है, सबके चेहरे पर खुशियाँ छाती है।

टप-टप करती बारिश की बूंदे खिडकी की दीवार पर खटखटाती हैं,
बचपन में उनके साथ खेलती थी शायद इसलिये मुझे बुलाती हैं,
मन मयूर होने लगता है आंखे भीग जाती हैं,
मगर अब कैसे समझाऊ बारिश को, उम्र की बेडिया नहीं तोडी जाती हैं,
बारिश जब-जब आती है, सबके चेहरे पर खुशियाँ छाती है,



Monday 12 August 2019

मेरा दोस्त - मेरी आंखों का तारा

मेरा दोस्त - मेरी आंखों का तारा


रहन-सहन उसका अजीब है,
उसकी हर बात में तहजीब है।
वो सबसे न्यारा, सबसे प्यारा है,
एक दोस्त मेरी आंखों का तारा है।

मेरी खामोशी को वह सुन लेता है,
उदासी को पढ लेता है।
हर कमी, हर गलती मेरी अपनाता है,
मैं भटक जाती हूँ, गर अपने पथ तो मुझे समझाता है।
मुझे सम्भालता गिरने से वो मेरा सहारा है,
एक दोस्त मेरी आंखों का तारा है।

अब का नहीं जन्मों का लगता है अपना याराना है,
क्या रिश्ता है हम दोनों में मुश्किल सबको समझाना है।
मैं नीर की जैसी प्यासी हूँ, वो नदिया की धारा है,
एक दोस्त मेरी आंखों का तारा है।

दुनिया की किसी शोहरत की ना उसे दरकरार है,
लाख उतार चढाव आने पर भी उसने ये रिश्ता रखा बरकरार है।
वह आवारा सा है, पागल सा है,
मगर मेरी खुशियों का पिटार है,
एक दोस्त मेरी आंखों का तारा है।

                                                                        "मीठी"

Sunday 11 August 2019

वजह जीने की

वजह जीने की



1. क्या लिखू, चेहरे पर चिंता की लकीरें लिखू,
             या उदास आँखों की नमी लिखू,
               या लिखू बात कुछ सीने की,

      दिल चाहता है, चलती साँसों को रोक लूँ,
         ए खुदा कोई तो वजह दे जीने की।




2.      मुस्कराना आदत थी मेरी, 
     मगर ये आदत गुमनाम हो गयी,
    गम ए दोस्ती यूँ सरेआम हो गयी ।

    

                                                       "लफ्ज ए मीठी"

मेरा हमसफर- एक अधूरा ख्वाब

मेरा हमसफर- एक अधूरा ख्वाब



मेरी आँखों के आंशू को अपने हाथों से पोछता
मेरे अंधियारे जीवन में वो उजाला भर देता
काश एक ऐसा हमसफर मेरा भी होता।

यूँ तो गमों से बहुत गहरा रिश्ता रहा मेरा
वो लबों पर बस मेरे हमेशा मुस्कान रखता
काश एक ऐसा हमसफर मेरा भी होता।

मेरे दिल की उदासी, आँखों की नमी
मेरी निगाहों से वो मेरी हर बात समझ लेता
काश एक ऐसा हमसफर मेरा भी होता।

वक्त, बेवक्त मुझे हसाता, अपनेपन का अहसास मुझे दिलाता
वो मरहम बनकर मेरा हर दर्द मिटाता
काश एक ऐसा हमसफर मेरा भी होता।

अंधेरा बहुत है जीवन में वो दीपक सा बन जाता
कांटो भरी मेरी राह में वह फूलों सा बिछ जाता
काश एक ऐसा हमसफर मेरा भी होता।

मैं बहता पानी दरिया का, वो किनारा बन जाता
अकेला सा जान मुझे, उम्रभर मेरा साथ निभाता
काश एक ऐसा हमसफर मेरा भी होता।

मैं तपन सूरज की, वो चाँद सा शीतल बन जाता
मेरे उदास जीवन में, वो खुशियाँ भर जाता
काश एक ऐसा हमसफर मेरा भी होता।

                                                                              "मीठी"

Saturday 10 August 2019

माँ- ईश्वर का दूसरा नाम

माँ- एक प्यारा सा अहसास


प्यारे से अहसास,अद्भूत प्यार,निस्वार्थ
सबसे बडे रिश्ते का,
खूबसूरत नाम है 'माँ'।

परमात्मा का दूसरा रूप,
उपमा ना जिसकी किसी से हो सके,
ऐसा अटूट बंधन, सम्बन्ध है 'माँ'।

गुणों की खान,
संस्कारों का स्त्रोत,
खिलाती है सबके चेहरों पर जो मुस्कान,
ममता का अथाह समंदर है 'माँ'।

कोख से ही सुरक्षा का कराती भान,
हर विषम परिस्थिति में,
डटे रहने का देती ज्ञान,
शिक्षा का भंडार है 'माँ'।

जिंदगी के सफर में,
गर्दिशों की धूप में,
हरपल स्नेह बरसाता आसमाँ है 'माँ'।

माँ त्याग है, तपस्या है,
मरूस्थल में बहता मीठा सा झरना है,
माँ बिन लगे जीवन अधूरा,
तन में जान है 'माँ'।

ईश्वर का दूसरा नाम है 'माँ'।

                                            "मीठी"

Friday 9 August 2019

वो मेरी पहली सी मौहब्बत

वो मेरी पहली सी मौहब्बत



पहली बार देखा था उसे अरनियॉ थाने में,
ब्लू जीन्स और महरून ग्रे स्वेटर में।

कुछ परेशान, थोड़ा हैरान सा लग रहा था वो,
थाने के हाल को देखकर कहाँ रहूँ, कैसे रहूँ, सोच रहा था वो।

मेरा दिल शर्माया और फिर मुस्कराया था,
क्योंकि जब मैं यहाँ पहली बार आयी थी, यही सब मुझमें समाया था।

क्यूट से चेहरे वाले उस प्यारे से इंसान ने चश्मा लगाया था,
आँखों के जरिये वो मेरे दिल में समाया था।

रातों को जगने की आदत सी हो गयी थी,
उसे हर रोज मैं नोटिस करने लगी थी।

उसके साथ होने पर मुझे राहत सी मिलती थी,
पता ही नहीं चला ये मुलाकात कब आदत, कब चाहत बन गयी थी।

उस जुनून, उस सुकून का अहसास पहले कभी नहीं था,
क्योंकि वो था मेरे पास ऐसे जैसे और कोई नहीं था।

गेहुँआ सा रंग वो उसका न जाने कैसा जादू करता था,
खुद के बस में ना ही मैं, ना ही मेरा दिल रहा करता था।

उसको छुपाया है मैने अपने दिल के कोने में,
पहली बार देखा था उसे अरनियॉ थाने में।

                                                                  "मीठी"

Thursday 8 August 2019

तेरी एक मुस्कान

तेरी एक मुस्कान



तेरी एक मुस्कान, पर मैं आज भी फिदा हो जाती हूँ,
साँस सी आती है रूह को, मैं जिन्दा हो जाती हूँ।

तू क्या जाने अपनी इस मुस्कान की कीमत, ये अनमोल है,
तेरी ये मुस्कान इस जलती धूप में, बेपरवाह मेरी रूह को ठण्डक दे जाती है।
उम्मीद के उखडे कदमों से हर दर्द को सोख ले जाती है,
आँखों में हो अस्क जितने मगर, मैं मन ही मन मुस्का जाती हूँ।
तेरी एक मुस्कान, पर मैं आज भी फिदा हो जाती हूँ।

मुस्कान तेरी है, जिन्दगी मेरी,
मुस्कान ना हो अगर तेरे लबों पर तो मेरी चाहत अधूरी,
तेरे होठों पर गर ना सजी हो मुस्कान,
तो इसके बिना दिल की हर राहत अधूरी,
तेरी वो मुस्कराती तस्वीर देखकर,
मैं रोज अपने होठों पर मुस्कान ले आती हूँ,
तेरी एक मुस्कान, पर मैं आज भी फिदा हो जाती हूँ।

जानती हूँ अब तूने मुस्कराना छोड दिया, 
हंसना छोड दिया, खिलखिलाना छोड दिया,
पर पल तो कोई रूका नही कभी,
अब ये बात मन में बिठा लो तुम भी,
इस पल को साथ में लेकर अब,
तुम्हें हर लम्हा मुस्कराना है,
क्योंकि एक तेरी यही मुस्कान, मेरे जीने का बहाना है,
तुझे मुस्कराता देखकर मैं बेफिक्र हो जाती हूँ,
तेरी एक मुस्कान, पर मैं आज भी फिदा हो जाती हूँ,
साँस सी आती है रूह को, मैं जिन्दा हो जाती हूँ।


                                                                       "मीठी"



 


Wednesday 7 August 2019

तोहफा- एक भेंट A Gift

तोहफा- एक भेंट A Gift


उसे तोहफे देना पसन्द है,
मगर मुझे लेना नहीं।

बीच का रास्ता ढूढ कर मैने बोला,
चलो कुछ गैर कीमती दे दो।

जो ना तुम्हारी जेब पर भारी पड़े,
ना मेरे मन पर भारी बने।

नादान था, मुस्कान दे गया।

                                                                                                                "मीठी"

Monday 5 August 2019

अमृत जैसी रचना- (मैगी)- मेरे जन्मदिवस पर एक खास भेंट

अमृत जैसी रचना- (मैगी)


प्रेम रूपी सागर की वो अमृत जैसी रचना है,
हृदय में जिसके दया, प्यार व अपार करूणा है।

वाणी में  जिसकी घुली है मधुरता,
अन्तर्मन में बसता है प्यार,
शब्दों में जिसकी ढलती है कोमलता,
जन्मा है वो बनकर मेरे लिए उपहार,
मैगी-मीठी का मिलन महज नहीं एक घटना है,
प्रेम रूपी सागर की वो अमृत जैसी रचना है।

हैं होठ गुलाबी, चाल शराबी,
नैन भी उसके कजरारे हैं,
आंखों में गहराई उसकी,
सब गुण उसमें समाये हैं,
मिला कुदरत से मुझे वो खूबसूरत नजराना है,
प्रेम रूपी सागर की वो अमृत जैसी रचना है।

मैं लिखूँ उम्र आज उसकी, चाँद-सितारों से,
मनाऊ आज जन्मदिन उसका, फूल-बहारों से,
रंग भरू उसके जीवन में, अपने रंगीन फव्वारों से,
महक उठे सारा जहाँ, आज हसीन नजारों से,
मेरे लिए जिंदगी को जीने का, वो अर्थपूर्ण बहाना है,
प्रेम रूपी सागर की वो अमृत जैसी रचना है।

है नहीं कोई तोहफा देने को आज बस दुआ करती हूँ,
जन्मदिन पर आज उसके यही भावना रखती हूँ,
पूर्ण हो सारे सपने यही कामना करती हूँ,
फूलों सा सुगन्धित हो जीवन उसका, यही अरमान रखती हूँ,
अब उसके लिए ही रोना, उसके लिए हंसना है,
प्रेम रूपी सागर की वो अमृत जैसी रचना है।

                                                                                    "मीठी"

मेरी चाहत

मेरी चाहत


नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारी आँखों का अश्क,
मैं तो बस तुम्हारे होठों की मुस्कान बनना चाहती हूँ।

नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारे लवों की चुप्पी,
मैं तो बस तुम्हारे लवों की मीठी बोली बनना चाहती हूँ।

नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारे चेहरे की सिकन,
मैं तो बस तुम्हारे चेहरे का नूर बनना चाहती हूँं।

नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारे जेहन की बेचैनी,
मैं तो बस तुम्हारे जेहन का सुकून बनना चाहती हूँ।

नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारे जीवन का अंधेरा,
मैं तो बस तुम्हारे जीवन  की रोशनी बनना चाहती हूँ।

नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारे तकदीर की चुनौती,
मैं तो बस तुम्हारी तकदीर को चमकाना चाहती हूँ।

नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारी यादों का अधूरा किस्सा,
मैं तो तो बस तुम्हारी यादों का खूबसूरत हिस्सा बनना चाहती हूँ।

नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारी बर्बादी का कारण,
मैं तो बस तुम्हारी जिन्दगी आबाद देखना चाहती हूँ।

नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारे दिल का दर्द,
मैं तो बस तुम्हारे दिल की राहत बनना चाहती हूँ।

नहीं बनना चाहती जैसे कृष्ण की रूक्मणी,
मैं तो बस तेरी राधा बनना चाहती हूँ।

                                                                          "मीठी"

Sunday 4 August 2019

मीठी-मैगी की प्रेम कथा

मीठी-मैगी की प्रेम कथा


जीवन अधूरा सा उस बिन होने लगा प्रतीत,
भूल नहीं पाती मैं मधुर यादों का अतीत।

याद है मुझे वो तारीख फरवरी की,
देखते ही मन मुग्ध हो गया था उन चार आँखों पर चश्मिश,
भोले से चेहरे पर, काले घुंघराले बालों पर,

फिर ना रहा होश, न रही खबर,
आंखे उसे ढूढने लगी चारों पहर।

रोज-रोज उससे बातें करने की तमन्ना सी होने लगी,
मैं उसके ख्वाबों-ख्यालों में रात-दिन खोने लगी।

कभी उसके पहनावे को टोकती (T-Shirt), कभी बेवजह सवाल करती,
डैस्क पर बैठकर रोज उसका और उसकी बाइक का इंतजार करती,

वो था बेखवर, मेरी इन शरारतों से,
मेरे मीठे से प्यारे से, मेरे अनकहे जज्बातों से।

FB पर रोज उसकी तस्वीर निहारती, उससे  दिन रात बात करती,
एक फोन एप के जरिये मिला उसका नम्बर, फिर रोज-रोज उसकी DP, Status पर कमेंट करती।

फिर बातें बढ़ने लगी, नजदीकियाँ बढ़ने लगी,
धीर-धीरे मैं उसके इश्क के रंग में ढलने लगी।

मैने भी कर दिया उससे अपने प्यार का इजहार,
फिर मन ही मन रोया दिल, जब सुना उसका इनकार।

फिर रोका खुद को, रोका खुद के जज्बातों को,
पर रोक ना पायी सिलसिला, जो बातें होने लगी रातों को।

धीरे-धीरे बीज प्यार के मेरे लिए उसके दिल में भी उपज रहे थे,
अनसुलझे से हम दोनों के रिश्ते, धीरे-धीरे सुलझ रहे थे।

फिर यू दिल बेचैन सा रहने लगा उसकी फिक्र में,
(Khana Khaya?, Doodh Pia?)
मेरी लेखनी भी रंग गयी उसके जिक्र में।

इस अनकहे, अनोखे, निश्छल एहसास ने पहली बार दिल दस्तक दी थी,
मेरे दिलों-दिमाग, रहन-सहन सब जगह हरकत हुई थी।

कह दिया फिर उसने भी एक दिन, करता हूँ मैं भी तुमसे प्यार (03-07-18),
तुम्हारी इस सच्ची मौहब्बत, पागलपन  ने कर दिया मुझे लाचार।

हर दिन, एक नया मौसम लगने लगा था,
मन मस्त मगन, उसके लिये धडकने लगा था।

फिर यूँ आया तूफान एक दिन (रिश्ता),
कह दिया उसने, अब जी लेंगे तुम बिन।

मैने भी उसे जाने दिया था, क्यों कि मैने उसे दिल दिया था,
रोक लेती हाथ पकडकर, होती गर हासिल करने की चाह,
रहने लगी फिर उस बिन अधूरी, दिल से निकलती हर पल आह।

फिर वो लौटकर आया एक दिन,
कहा कोई तुमसा नहीं, कोई नहीं अपना तुम बिन।

एक बार फिर शुरू हुई, वो मौहब्बत की दास्तां,
एक होने लगी हमारी मंजिल, एक होने लगे रास्ते।

मुझे आज भी याद है वो अपनी पहली Date (30-12-18),
विजय ढावा पर हमने चाय आर बटर टोस्ट किया Ate.

धीरे-धीरे समय गुजरता गया,
उसका और मेरा मिलना बढता गया।

फिर आया एक वो दिन, जिसका था मुझे महीनों से इन्तजार (06-05-19),
मेरा परिवार हो गया था राजी, हम दोनों के रिश्ते को अपनाने को।

मुझे था पूरा यकीन उस पर, वो थाम लेगी मेरा हाथ (07-05-19),
पर ये भरोसा टूट गया, हमारा रिश्ता कहीं छूट गया (12-05-19)।

आज भी उसे जीता हूँ, आज भी उसके लिये मरता हूँ,
हाँ , आज भी मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ

                                                                                      "मीठी-मैगी"





Saturday 3 August 2019

प्रेम बंधन- किस्सा प्यार का

क्या हुआ, आज अगर हम साथ नहीं,
तेरे हाथों में मेरा हाथ नहीं।
फांसले कितने भी हैं हम दोनों के दरमियाँ,
फरक नहीं पडंता, मेरा रिश्ता तुझसे रूह का है,
ये किस्सा जिस्म का नहीं।


क्या हुआ, आज अगर हम साथ नहीं,
तेरे हाथों में मेरा हाथ नहीं।
रोज सवेरे सूरज की किरणों की भांति,
तेरी यादें दिल के आँगन पर दस्तक देती हैं,
मेरी उदास आँखों में चमक,
और होठों पर तबस्सुम रख देती हैं।


जिसमें तेरा जिक्र ना हो,
मेरे पास ऐसी कोई बात नहीं,
क्या हुआ, आज अगर हम साथ नहीं,
तेरे हाथों में मेरा हाथ नहीं।


मिलना और फिर बिछड़ना,
है दस्तूर मौहब्बत का,
प्यार तो एक खूबसूरत रिश्ता है, दिल का,
सांझ ढ़लते ही मेरा यू तुझे शब्दों में पिरोना,
तुझे सोचना, तुझे लिखना,
तू मेरे ख्वाबों ख्यालों में, ना आये,
जाती ऐसी कोई रात नहीं,
क्या हुआ, आज अगर हम साथ नहीं,
तेरे हाथों में मेरा हाथ नहीं।


यूँ तो कुछ अजीबों - गरीब किस्सा रहा हमारा,
प्यार अधूरा होकर भी, पूरा रहा हमारा,
कुछ अनकही सी बातों ने सबकुछ बिखेर दिया,
बहुत कुछ उलझा दिया, बस प्यार और सुलगा दिया,
पर प्रेम किसी बंधन का होता मौहताज नहीं,
क्या हुआ, आज अगर हम साथ नहीं,
तेरे हाथों में मेरा हाथ नहीं।


                                                                           "मीठी" 


Thursday 1 August 2019

मेरा प्यार, मेरा दर्द

एक लड़का था जो मुझे मुझसे ज्यादा चाहता था,
रोज सवेरे वो मेरी दिल की कैरी में दस्तक देकर,
कुछ अरमान लेकर, कुछ सौगात लेकर,
मुझे मुस्कराने की वजह देकर,
मुझे हर रोज जीने का सलीका सिखाया करता था।


मेरी उदास जिन्दगी में वो खुशियाँ लेकर आया था,
प्यार क्या होता है, खामोश रहकर उसने मुझे बतलाया था,
मेरे बिन कहे ही सबकुछ वो मेरी बात समझता था,
एक लड़का था जो मुझे मुझसे ज्यादा चाहता था।


मैं अक्सर जब उससे रूठ जाया करती थी,
उदास हो जाती थी, रो जाया करती थी,
वो अपनी बचकानी सी हरकतों से मुझे हँसाया करता था,
एक लड़का था जो मुझे मुझसे ज्यादा चाहता था।


आज वो बहुत दूर है मुझ से, फिर भी कोई गिला नहीं,
प्यार हम दोनों के दरमयाँ, कभी कम हुआ नहीं,
दूर रहकर वो मेरी परवाह बहुत करता था,
एक लड़का था जो मुझे मुझसे ज्यादा चाहता था।


था मुझमें भी लिखने का शौक, उसके लिये,
मेरे मन मे अगर सच्चे जज्बात थे, तो उसके लिये,
जितना उसके लिये लिखती थी, उतना कम पड़ता था,
एक लड़का था जो मुझे मुझसे ज्यादा चाहता था


                                                                          "मीठी"

मंजिल मिल जाती - जो तुम आ जाते एक बार

मंजिल मिल जाती 


दो भटके राही को मंजिल मिल जाती,
जीवन में आ जाती नयी बहार,
जो तुम आ जाते एक बार।


मिट जाता गमों का अंधेरा,
खुशियों की हो जाती बौछार,
जो तुम आ जाते एक बार।


मिल जाता इस रिश्ते को खूबसूरत नाम,
मौहब्बत ना होती आज यूँ तार-तार,
जो तुम आ जाते एक बार।


जीवनपथ फूलों सा सज जाता,
होठों पर खिलती हर पल मुस्कान,
जो तुम आ जाते एक बार।



ना तड़पती रूह इस कदर,
ना रहता अधूरा प्यार
प्रेम से हरा-भरा रहता तेरा मेरा संसार,
जो तुम आ जाते एक बार ।


                                                    "मीठी"