तुम बसे हो
जैसे मृदुभाव अन्तर्मन में,
जैसे सुगंध चन्दन में,
बसे हो एसे तुम मेरे मन में।
जैसे रोशनी चाँदनी रातों में,
जैसे रिश्ते बंधे सौगातों में,
बसे हो एसे तुम मेरी बातों में।
जैसे गणित हिसाबो में,
जैसे कहानी किताबों में,
बसे हो एसे तुम मेरे ख्वाबों में।
जैसे सनसनाहट हवाओं में,
जैसे गड़गड़ाहट बादलों में,
बसे हो एसे तुम मेरे ख्यालों में।
जैसे साँसे तन में,
जैसे खुशबू सुमन में,
बसे हो एसे तुम मेरे जीवन में ।
"मीठी"