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Monday 5 August 2019

अमृत जैसी रचना- (मैगी)- मेरे जन्मदिवस पर एक खास भेंट

अमृत जैसी रचना- (मैगी)


प्रेम रूपी सागर की वो अमृत जैसी रचना है,
हृदय में जिसके दया, प्यार व अपार करूणा है।

वाणी में  जिसकी घुली है मधुरता,
अन्तर्मन में बसता है प्यार,
शब्दों में जिसकी ढलती है कोमलता,
जन्मा है वो बनकर मेरे लिए उपहार,
मैगी-मीठी का मिलन महज नहीं एक घटना है,
प्रेम रूपी सागर की वो अमृत जैसी रचना है।

हैं होठ गुलाबी, चाल शराबी,
नैन भी उसके कजरारे हैं,
आंखों में गहराई उसकी,
सब गुण उसमें समाये हैं,
मिला कुदरत से मुझे वो खूबसूरत नजराना है,
प्रेम रूपी सागर की वो अमृत जैसी रचना है।

मैं लिखूँ उम्र आज उसकी, चाँद-सितारों से,
मनाऊ आज जन्मदिन उसका, फूल-बहारों से,
रंग भरू उसके जीवन में, अपने रंगीन फव्वारों से,
महक उठे सारा जहाँ, आज हसीन नजारों से,
मेरे लिए जिंदगी को जीने का, वो अर्थपूर्ण बहाना है,
प्रेम रूपी सागर की वो अमृत जैसी रचना है।

है नहीं कोई तोहफा देने को आज बस दुआ करती हूँ,
जन्मदिन पर आज उसके यही भावना रखती हूँ,
पूर्ण हो सारे सपने यही कामना करती हूँ,
फूलों सा सुगन्धित हो जीवन उसका, यही अरमान रखती हूँ,
अब उसके लिए ही रोना, उसके लिए हंसना है,
प्रेम रूपी सागर की वो अमृत जैसी रचना है।

                                                                                    "मीठी"