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Monday 26 August 2019

मजबूर हो रही है

मजबूरी

वो आज मुझसे दूर हो रही है,
ना चाहते हुए भी मजबूर हो रही है।

वो उन अनचाहे रिश्तों को निभा रही है,
उन्हें निभाते-निभाते अपना वजूद खोती जा रही है।

अपने आंसू और दर्द को अब मुझे नहीं बता रही है वो,
शायद वो मुझे अपना नहीं समझती, मुझे पराया करती जा रही है वो।

कहती है मुझे अब तुझसे दूर जाना है,
पर शायद उसे नहीं पता, मेरे और करीब आती जा रही है् वो।

माना अब हम एक साथ नहीं, 
पर आज भी हम दोनों को उस दूरी का अहसास नहीं।

आज भी करती है वो मेरी फिकर पर जताना चाहती नहीं,
दोबार से सब बयान करके मुझे सताना चाहती नहीं।

मैं उसे अपने से ज्यादा जानता हूँ,
पर उस नादां को कौन समझाये, मैं उसके दर्द को उससे पहले पहचानता हूँ।


"मैगी"

Friday 16 August 2019

तू मेरा कौन है

तू मेरा कौन है


तू हवा का ठण्डा झौका है,
कभी नाजुक तो कभी तूफां है,
हाँ मेरा गुजरा लम्हा है,
मगर तेरे बिन मेरा जीवन तन्हा है।
                                                    कुछ टूटा सा, कुछ रूठा सा है,
                                                    हर पल मेरे अधरों पर सजा सा है,
                                                    एक दोस्त तू मेरा सच्चा सा है,
                                                    मैं अगर रागिनी तू बीन सा है।
मेरे प्यासे नयनों में तू बहता झरना सा है,
गूँजता उर में मेरे तू एक नगमा सा है,
मैं चमकती बिजूरी सी, तू मेरा आसमां है,
जिसको टूटने की तलव नहीं तू वो एक सपना है।
                                                      तू मुझे पूछता है तू मेरा कौन है?
                                                      तू दूर है मगर पास है,
                                                      तू मेरे जीवन में सबसे खास है,
                                                      जज्बातों का बहाना नहीं बनाती,
                                                      तू मेरे दिल में धडकता खूबसूरत अहसास है।

                                                          "मीठी"
                                  

Tuesday 13 August 2019

बारिश- वर्षा

बारिश- वर्षा


बारिश जब-जब आती है, सबके चेहरे पर खुशियाँ छाती है,
कल-कल करती हुई नदियाँ बहती हैं, इठलाती है,
मानो मधुर-मधुर सा संगीत सबको सुनाती है,
बादलों की घुमड-घुमड, ठण्डी-ठण्डी पवन,
तन-मन को लुभाती है,
बारिश जब-जब आती है, सबके चेहरे पर खुशियाँ छाती है।

पेड, पौधे, लताए और फूलों पर,
बारिश की बूंदे मोती सी बनकर सज जाती है,
बागों मे खिलते फलों की सुगंध सबको भाती है,
रिमझिम बरखा रानी फूलों को खिलाती है,
बारिश जब-जब आती है, सबके चेहरे पर खुशियाँ छाती है।

बारिश की बूदें प्यासी धरती की प्यास बुझाती जाती है,
पेड-पौधे, जीव-जन्तु सबको जीवन दे जाती है,
भीषण गर्मी से बचाती है, शीतलता बरसाती है,
वर्षा बहार भू पर जीवन की ज्योति जलाती है,
बारिश जब-जब आती है, सबके चेहरे पर खुशियाँ छाती है।

टप-टप करती बारिश की बूंदे खिडकी की दीवार पर खटखटाती हैं,
बचपन में उनके साथ खेलती थी शायद इसलिये मुझे बुलाती हैं,
मन मयूर होने लगता है आंखे भीग जाती हैं,
मगर अब कैसे समझाऊ बारिश को, उम्र की बेडिया नहीं तोडी जाती हैं,
बारिश जब-जब आती है, सबके चेहरे पर खुशियाँ छाती है,



Monday 5 August 2019

अमृत जैसी रचना- (मैगी)- मेरे जन्मदिवस पर एक खास भेंट

अमृत जैसी रचना- (मैगी)


प्रेम रूपी सागर की वो अमृत जैसी रचना है,
हृदय में जिसके दया, प्यार व अपार करूणा है।

वाणी में  जिसकी घुली है मधुरता,
अन्तर्मन में बसता है प्यार,
शब्दों में जिसकी ढलती है कोमलता,
जन्मा है वो बनकर मेरे लिए उपहार,
मैगी-मीठी का मिलन महज नहीं एक घटना है,
प्रेम रूपी सागर की वो अमृत जैसी रचना है।

हैं होठ गुलाबी, चाल शराबी,
नैन भी उसके कजरारे हैं,
आंखों में गहराई उसकी,
सब गुण उसमें समाये हैं,
मिला कुदरत से मुझे वो खूबसूरत नजराना है,
प्रेम रूपी सागर की वो अमृत जैसी रचना है।

मैं लिखूँ उम्र आज उसकी, चाँद-सितारों से,
मनाऊ आज जन्मदिन उसका, फूल-बहारों से,
रंग भरू उसके जीवन में, अपने रंगीन फव्वारों से,
महक उठे सारा जहाँ, आज हसीन नजारों से,
मेरे लिए जिंदगी को जीने का, वो अर्थपूर्ण बहाना है,
प्रेम रूपी सागर की वो अमृत जैसी रचना है।

है नहीं कोई तोहफा देने को आज बस दुआ करती हूँ,
जन्मदिन पर आज उसके यही भावना रखती हूँ,
पूर्ण हो सारे सपने यही कामना करती हूँ,
फूलों सा सुगन्धित हो जीवन उसका, यही अरमान रखती हूँ,
अब उसके लिए ही रोना, उसके लिए हंसना है,
प्रेम रूपी सागर की वो अमृत जैसी रचना है।

                                                                                    "मीठी"