माँ- एक प्यारा सा अहसास
सबसे बडे रिश्ते का,
खूबसूरत नाम है 'माँ'।
परमात्मा का दूसरा रूप,
उपमा ना जिसकी किसी से हो सके,
ऐसा अटूट बंधन, सम्बन्ध है 'माँ'।
गुणों की खान,
संस्कारों का स्त्रोत,
खिलाती है सबके चेहरों पर जो मुस्कान,
ममता का अथाह समंदर है 'माँ'।
कोख से ही सुरक्षा का कराती भान,
हर विषम परिस्थिति में,
डटे रहने का देती ज्ञान,
शिक्षा का भंडार है 'माँ'।
जिंदगी के सफर में,
गर्दिशों की धूप में,
हरपल स्नेह बरसाता आसमाँ है 'माँ'।
माँ त्याग है, तपस्या है,
मरूस्थल में बहता मीठा सा झरना है,
माँ बिन लगे जीवन अधूरा,
तन में जान है 'माँ'।
ईश्वर का दूसरा नाम है 'माँ'।
"मीठी"