Showing posts with label love. Show all posts
Showing posts with label love. Show all posts

Friday 25 October 2019

तुम्हारा जन्मदिवस गुलाबो पर रंगत लाया है

😊
तुम्हारा जन्मदिवस गुलाबो पर रंगत लाया है
तुम्हारा जन्मदिन दीवाली भी साथ लाया है
हर तरफ प्रकाश ही प्रकाश फैलाया है।
तुम्हारा जन्मदिन नया हर्ष और उमंग लेकर आया है।

उसने मुझे हमारी संगत को याद दिलाया है
 वह बीता बरस याद आया है जब तुम थी नाराज
तुम्हारे जन्मदिन पर मै नहीं था तुम्हारे साथ
 तुमने कॉल कर कर के मुझे अपने पास बुलाया था
फिर केक काट कर अपना जन्मदिन मनाया था
अपने हाथो से मुझे केक और टऑफीज़ खिलाया था।



Maggie

Friday 18 October 2019

Janu Kyun ! Janu Kyu

Kyu Chalti hai Pawan,
Because of Low Density.


Kyu Jhoome hai Gagan,
Because of Earth's Revolution.


Kyu Machalta hai Man,
Because of Mental Disorder.


Na Tum Jano Na Hum,
I Know Everything because I have answered all the questions.


Kyu Aati he Bahar,
Because of the Receding of winter.



Kyu Laut ta hai Karar,
Because of Robbers and Dacoits.


Kyu aata he Pyar,
Because of Fatal Infatuation.


                                        "Meera & Vandana"

Saturday 10 August 2019

माँ- ईश्वर का दूसरा नाम

माँ- एक प्यारा सा अहसास


प्यारे से अहसास,अद्भूत प्यार,निस्वार्थ
सबसे बडे रिश्ते का,
खूबसूरत नाम है 'माँ'।

परमात्मा का दूसरा रूप,
उपमा ना जिसकी किसी से हो सके,
ऐसा अटूट बंधन, सम्बन्ध है 'माँ'।

गुणों की खान,
संस्कारों का स्त्रोत,
खिलाती है सबके चेहरों पर जो मुस्कान,
ममता का अथाह समंदर है 'माँ'।

कोख से ही सुरक्षा का कराती भान,
हर विषम परिस्थिति में,
डटे रहने का देती ज्ञान,
शिक्षा का भंडार है 'माँ'।

जिंदगी के सफर में,
गर्दिशों की धूप में,
हरपल स्नेह बरसाता आसमाँ है 'माँ'।

माँ त्याग है, तपस्या है,
मरूस्थल में बहता मीठा सा झरना है,
माँ बिन लगे जीवन अधूरा,
तन में जान है 'माँ'।

ईश्वर का दूसरा नाम है 'माँ'।

                                            "मीठी"

Friday 9 August 2019

वो मेरी पहली सी मौहब्बत

वो मेरी पहली सी मौहब्बत



पहली बार देखा था उसे अरनियॉ थाने में,
ब्लू जीन्स और महरून ग्रे स्वेटर में।

कुछ परेशान, थोड़ा हैरान सा लग रहा था वो,
थाने के हाल को देखकर कहाँ रहूँ, कैसे रहूँ, सोच रहा था वो।

मेरा दिल शर्माया और फिर मुस्कराया था,
क्योंकि जब मैं यहाँ पहली बार आयी थी, यही सब मुझमें समाया था।

क्यूट से चेहरे वाले उस प्यारे से इंसान ने चश्मा लगाया था,
आँखों के जरिये वो मेरे दिल में समाया था।

रातों को जगने की आदत सी हो गयी थी,
उसे हर रोज मैं नोटिस करने लगी थी।

उसके साथ होने पर मुझे राहत सी मिलती थी,
पता ही नहीं चला ये मुलाकात कब आदत, कब चाहत बन गयी थी।

उस जुनून, उस सुकून का अहसास पहले कभी नहीं था,
क्योंकि वो था मेरे पास ऐसे जैसे और कोई नहीं था।

गेहुँआ सा रंग वो उसका न जाने कैसा जादू करता था,
खुद के बस में ना ही मैं, ना ही मेरा दिल रहा करता था।

उसको छुपाया है मैने अपने दिल के कोने में,
पहली बार देखा था उसे अरनियॉ थाने में।

                                                                  "मीठी"

Thursday 8 August 2019

तेरी एक मुस्कान

तेरी एक मुस्कान



तेरी एक मुस्कान, पर मैं आज भी फिदा हो जाती हूँ,
साँस सी आती है रूह को, मैं जिन्दा हो जाती हूँ।

तू क्या जाने अपनी इस मुस्कान की कीमत, ये अनमोल है,
तेरी ये मुस्कान इस जलती धूप में, बेपरवाह मेरी रूह को ठण्डक दे जाती है।
उम्मीद के उखडे कदमों से हर दर्द को सोख ले जाती है,
आँखों में हो अस्क जितने मगर, मैं मन ही मन मुस्का जाती हूँ।
तेरी एक मुस्कान, पर मैं आज भी फिदा हो जाती हूँ।

मुस्कान तेरी है, जिन्दगी मेरी,
मुस्कान ना हो अगर तेरे लबों पर तो मेरी चाहत अधूरी,
तेरे होठों पर गर ना सजी हो मुस्कान,
तो इसके बिना दिल की हर राहत अधूरी,
तेरी वो मुस्कराती तस्वीर देखकर,
मैं रोज अपने होठों पर मुस्कान ले आती हूँ,
तेरी एक मुस्कान, पर मैं आज भी फिदा हो जाती हूँ।

जानती हूँ अब तूने मुस्कराना छोड दिया, 
हंसना छोड दिया, खिलखिलाना छोड दिया,
पर पल तो कोई रूका नही कभी,
अब ये बात मन में बिठा लो तुम भी,
इस पल को साथ में लेकर अब,
तुम्हें हर लम्हा मुस्कराना है,
क्योंकि एक तेरी यही मुस्कान, मेरे जीने का बहाना है,
तुझे मुस्कराता देखकर मैं बेफिक्र हो जाती हूँ,
तेरी एक मुस्कान, पर मैं आज भी फिदा हो जाती हूँ,
साँस सी आती है रूह को, मैं जिन्दा हो जाती हूँ।


                                                                       "मीठी"



 


Monday 5 August 2019

मेरी चाहत

मेरी चाहत


नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारी आँखों का अश्क,
मैं तो बस तुम्हारे होठों की मुस्कान बनना चाहती हूँ।

नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारे लवों की चुप्पी,
मैं तो बस तुम्हारे लवों की मीठी बोली बनना चाहती हूँ।

नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारे चेहरे की सिकन,
मैं तो बस तुम्हारे चेहरे का नूर बनना चाहती हूँं।

नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारे जेहन की बेचैनी,
मैं तो बस तुम्हारे जेहन का सुकून बनना चाहती हूँ।

नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारे जीवन का अंधेरा,
मैं तो बस तुम्हारे जीवन  की रोशनी बनना चाहती हूँ।

नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारे तकदीर की चुनौती,
मैं तो बस तुम्हारी तकदीर को चमकाना चाहती हूँ।

नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारी यादों का अधूरा किस्सा,
मैं तो तो बस तुम्हारी यादों का खूबसूरत हिस्सा बनना चाहती हूँ।

नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारी बर्बादी का कारण,
मैं तो बस तुम्हारी जिन्दगी आबाद देखना चाहती हूँ।

नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारे दिल का दर्द,
मैं तो बस तुम्हारे दिल की राहत बनना चाहती हूँ।

नहीं बनना चाहती जैसे कृष्ण की रूक्मणी,
मैं तो बस तेरी राधा बनना चाहती हूँ।

                                                                          "मीठी"

Sunday 4 August 2019

मीठी-मैगी की प्रेम कथा

मीठी-मैगी की प्रेम कथा


जीवन अधूरा सा उस बिन होने लगा प्रतीत,
भूल नहीं पाती मैं मधुर यादों का अतीत।

याद है मुझे वो तारीख फरवरी की,
देखते ही मन मुग्ध हो गया था उन चार आँखों पर चश्मिश,
भोले से चेहरे पर, काले घुंघराले बालों पर,

फिर ना रहा होश, न रही खबर,
आंखे उसे ढूढने लगी चारों पहर।

रोज-रोज उससे बातें करने की तमन्ना सी होने लगी,
मैं उसके ख्वाबों-ख्यालों में रात-दिन खोने लगी।

कभी उसके पहनावे को टोकती (T-Shirt), कभी बेवजह सवाल करती,
डैस्क पर बैठकर रोज उसका और उसकी बाइक का इंतजार करती,

वो था बेखवर, मेरी इन शरारतों से,
मेरे मीठे से प्यारे से, मेरे अनकहे जज्बातों से।

FB पर रोज उसकी तस्वीर निहारती, उससे  दिन रात बात करती,
एक फोन एप के जरिये मिला उसका नम्बर, फिर रोज-रोज उसकी DP, Status पर कमेंट करती।

फिर बातें बढ़ने लगी, नजदीकियाँ बढ़ने लगी,
धीर-धीरे मैं उसके इश्क के रंग में ढलने लगी।

मैने भी कर दिया उससे अपने प्यार का इजहार,
फिर मन ही मन रोया दिल, जब सुना उसका इनकार।

फिर रोका खुद को, रोका खुद के जज्बातों को,
पर रोक ना पायी सिलसिला, जो बातें होने लगी रातों को।

धीरे-धीरे बीज प्यार के मेरे लिए उसके दिल में भी उपज रहे थे,
अनसुलझे से हम दोनों के रिश्ते, धीरे-धीरे सुलझ रहे थे।

फिर यू दिल बेचैन सा रहने लगा उसकी फिक्र में,
(Khana Khaya?, Doodh Pia?)
मेरी लेखनी भी रंग गयी उसके जिक्र में।

इस अनकहे, अनोखे, निश्छल एहसास ने पहली बार दिल दस्तक दी थी,
मेरे दिलों-दिमाग, रहन-सहन सब जगह हरकत हुई थी।

कह दिया फिर उसने भी एक दिन, करता हूँ मैं भी तुमसे प्यार (03-07-18),
तुम्हारी इस सच्ची मौहब्बत, पागलपन  ने कर दिया मुझे लाचार।

हर दिन, एक नया मौसम लगने लगा था,
मन मस्त मगन, उसके लिये धडकने लगा था।

फिर यूँ आया तूफान एक दिन (रिश्ता),
कह दिया उसने, अब जी लेंगे तुम बिन।

मैने भी उसे जाने दिया था, क्यों कि मैने उसे दिल दिया था,
रोक लेती हाथ पकडकर, होती गर हासिल करने की चाह,
रहने लगी फिर उस बिन अधूरी, दिल से निकलती हर पल आह।

फिर वो लौटकर आया एक दिन,
कहा कोई तुमसा नहीं, कोई नहीं अपना तुम बिन।

एक बार फिर शुरू हुई, वो मौहब्बत की दास्तां,
एक होने लगी हमारी मंजिल, एक होने लगे रास्ते।

मुझे आज भी याद है वो अपनी पहली Date (30-12-18),
विजय ढावा पर हमने चाय आर बटर टोस्ट किया Ate.

धीरे-धीरे समय गुजरता गया,
उसका और मेरा मिलना बढता गया।

फिर आया एक वो दिन, जिसका था मुझे महीनों से इन्तजार (06-05-19),
मेरा परिवार हो गया था राजी, हम दोनों के रिश्ते को अपनाने को।

मुझे था पूरा यकीन उस पर, वो थाम लेगी मेरा हाथ (07-05-19),
पर ये भरोसा टूट गया, हमारा रिश्ता कहीं छूट गया (12-05-19)।

आज भी उसे जीता हूँ, आज भी उसके लिये मरता हूँ,
हाँ , आज भी मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ

                                                                                      "मीठी-मैगी"





Saturday 3 August 2019

प्रेम बंधन- किस्सा प्यार का

क्या हुआ, आज अगर हम साथ नहीं,
तेरे हाथों में मेरा हाथ नहीं।
फांसले कितने भी हैं हम दोनों के दरमियाँ,
फरक नहीं पडंता, मेरा रिश्ता तुझसे रूह का है,
ये किस्सा जिस्म का नहीं।


क्या हुआ, आज अगर हम साथ नहीं,
तेरे हाथों में मेरा हाथ नहीं।
रोज सवेरे सूरज की किरणों की भांति,
तेरी यादें दिल के आँगन पर दस्तक देती हैं,
मेरी उदास आँखों में चमक,
और होठों पर तबस्सुम रख देती हैं।


जिसमें तेरा जिक्र ना हो,
मेरे पास ऐसी कोई बात नहीं,
क्या हुआ, आज अगर हम साथ नहीं,
तेरे हाथों में मेरा हाथ नहीं।


मिलना और फिर बिछड़ना,
है दस्तूर मौहब्बत का,
प्यार तो एक खूबसूरत रिश्ता है, दिल का,
सांझ ढ़लते ही मेरा यू तुझे शब्दों में पिरोना,
तुझे सोचना, तुझे लिखना,
तू मेरे ख्वाबों ख्यालों में, ना आये,
जाती ऐसी कोई रात नहीं,
क्या हुआ, आज अगर हम साथ नहीं,
तेरे हाथों में मेरा हाथ नहीं।


यूँ तो कुछ अजीबों - गरीब किस्सा रहा हमारा,
प्यार अधूरा होकर भी, पूरा रहा हमारा,
कुछ अनकही सी बातों ने सबकुछ बिखेर दिया,
बहुत कुछ उलझा दिया, बस प्यार और सुलगा दिया,
पर प्रेम किसी बंधन का होता मौहताज नहीं,
क्या हुआ, आज अगर हम साथ नहीं,
तेरे हाथों में मेरा हाथ नहीं।


                                                                           "मीठी" 


Thursday 1 August 2019

मेरा प्यार, मेरा दर्द

एक लड़का था जो मुझे मुझसे ज्यादा चाहता था,
रोज सवेरे वो मेरी दिल की कैरी में दस्तक देकर,
कुछ अरमान लेकर, कुछ सौगात लेकर,
मुझे मुस्कराने की वजह देकर,
मुझे हर रोज जीने का सलीका सिखाया करता था।


मेरी उदास जिन्दगी में वो खुशियाँ लेकर आया था,
प्यार क्या होता है, खामोश रहकर उसने मुझे बतलाया था,
मेरे बिन कहे ही सबकुछ वो मेरी बात समझता था,
एक लड़का था जो मुझे मुझसे ज्यादा चाहता था।


मैं अक्सर जब उससे रूठ जाया करती थी,
उदास हो जाती थी, रो जाया करती थी,
वो अपनी बचकानी सी हरकतों से मुझे हँसाया करता था,
एक लड़का था जो मुझे मुझसे ज्यादा चाहता था।


आज वो बहुत दूर है मुझ से, फिर भी कोई गिला नहीं,
प्यार हम दोनों के दरमयाँ, कभी कम हुआ नहीं,
दूर रहकर वो मेरी परवाह बहुत करता था,
एक लड़का था जो मुझे मुझसे ज्यादा चाहता था।


था मुझमें भी लिखने का शौक, उसके लिये,
मेरे मन मे अगर सच्चे जज्बात थे, तो उसके लिये,
जितना उसके लिये लिखती थी, उतना कम पड़ता था,
एक लड़का था जो मुझे मुझसे ज्यादा चाहता था


                                                                          "मीठी"

Monday 29 July 2019

आंशू और मुस्कान

आंशू और मुस्कान



मैं कुछ दिनों से उसमें उसे ढूंढ रही थी,
जब बिखरा हुआ मिला तो उसे समेट रही थी,
अब कुछ समेटा है उसको कुछ बिखरा हुआ सा अब भी है,
जख्म पुराना हो गया पर घाव ताजा अब भी है,


हर चोट पर उसकी मैं मरहम लगाऊंगी,
उदासी भरे उसके जीवन में, मैं खुशियाँ फैलाऊंगी,
टपकने ना दुंगी उसकी आँख से आंशू,
उसके हर एक अस्क को मैं  मुस्कान बनाऊंगी।


                                                                      "मीठी"

Saturday 27 July 2019

शब्दों की माला

शब्दों की माला


जी चाहता है  गूँथू एक,
शब्दों की ऐसी माला,
जिसमें उस एक शख्स के,
गुणों का हो धागा,
करूँ मैं माला उसे अर्पण,
जिसने मेरे लिये किया प्रेम समर्पण।
                                                      
अंधकार में, उजालों में,
आँधियों में, तूफानों में,
रहा साथ मेरे वो हरदम,
करूँ ये माला उसे अर्पण।

सलोनी सी सूरत उसकी,
चाँद सी मोहक अदायें है,
छल, कपट से है वो कोसों दूर,
मन उसका है एक दर्पण,
करूँ ये माला उसे अर्पण।

हिम सी शीतलता उसमें,
नीर सी चंचलता है,
फूल सी कोमलता है उसमें,
नादानों सा है भोलापन,
करूँ ये माला उसे अर्पण।

चंदन सी सुगंध है उसमें,
कोयल सी मीठी बोली है,
प्रेम, स्वाभिमानी, धैर्य, उदारता,
की वो है एक मूरत,
करूँ ये माला उसे अर्पण।

है सबसे न्यारा वो,
अपनी ही धुन पर थिरकता है,
जीवन को जीने का उसका अलग तरीका है,
अजीबो-गरीब ही है उसका मेरा बंधन,
करूँ ये माला उसे अर्पण।

अन्त में,
             एक मधुर रिश्ते की इन कडियों से,
             जुडी रहे ये माला,
             जलती रहे मेरे अन्तर्मन में,
             हर पल उसके प्रेम की ज्वाला,
                        एक बार आज फिर तुम्हारा सजदा कर रही हूँ,
                        अपनी इस कविता में तुम्हारी तारीफ लिख रही हूँ,
                        तुम पर है न्यौछावर मेरा तन मन धन,
                        करूँ ये माला उसे अर्पण।

                                                                                                     "मीठी"


याद करू या भूल जाऊ

याद करू


हे आनन्द,.... क्या तुझमें लिपटी यादें,
भूल-भूलकर खो जाऊ या,
याद करू ।

या तुझमें सारा जीवन,
बिसराऊ,
या तेरी पलकों के आँखों की मीठी मुसकानें,

यू ही अपने जीवन में,
सपना सा जान गुनगुनाऊँ ।

हे आनन्द,... बता तेरी सूरत में है क्या,
तुझे देखकर भी अनदेखा करूँ,
या नित-नित तेरी तस्वीर निहारू।

या तूझे मात्र सोचकर,
डूब जाऊँ कल्पनाओं के सागर में,

या तुझे शब्दों की माला में पिरोकर,
जीवन भर नये-नये गीत बनाऊँ । 

                                                             "मीठी"

मुझे अब तुझसे दूर जाना है

मुझे अब तुझसे दूर जाना है


आठों पहर आने वाली, तेरी यादों के सहारे, 
अब हँसना और जीना है, मुझे अब तुझसे दूर जाना है ।

पहलू से अब तेरे खुद को सिमेटना है,
पास रहकर अब तेरे, तुझे नहीं और सताना है।

मुझे अब तुझसे दूर जाना है।

है तुझसे  बेहद प्यार, अब यह अहसास तुझे नहीं दिलाना है,
तेरे और तेरे अपनों की खुशी के लिये, मुझे अब तुझसे दूर जाना है।


रहे तू आबाद अपनी दुनिया में, अब यही एक सजदा खुदा से करना है,
तेरे एक-एक जख्म को अपनी दुआओं से भरना है ।

मुझे अब तुझसे दूर जाना है । 


"मीठी"

विरह: बिखरी यादों का संसार

विरह: बिखरी यादों का संसार



तेरी मीठी यादों का झराना, जब-जब दरिया ए दिल में गिरता है।
झर-झऱ लहरोंं सा शोर मेरे अन्तर्मन में भी बजता है।


तेरी यादों का झोका भी हवा की भाँति चलता है,
आता है जाता है फिर दब कर कहीं आँखों में रूक जाता है ।
आता है जाता है फिर थक कर कहीं आँखों में रूक जाता है ।

कुछ बिखरी यादों का संसार लिये, एक विरह की आग लिये,
अब तन-मन हर रोज मेरा जलता है, लहरों सा शोर मेरे मन में बजता है ।
झर-झऱ लहरोंं सा शोर मेरे अन्तर्मन में बजता है।



                                                                                                                          "मीठी"

Friday 26 July 2019

What is Love: A Poem

Love: A Poem


Love is not a Joke,
Love is not a Game.
Once you fall in Love,
You will be never same.
                                        Love is never-ending,
                                        Love is never wrong.
                                        Sometimes it makes you Weak,
                                        Sometimes it makes you Strong.
Love is everlasting,
Love is wonderful.
When you are in Love, someone,
You became cheerful.
                                          
                                        Love is always true,
                                        Love is always kind.
                                        Love is something that happens,
                                        Not something that you find.



                                                                                            "मीठी"(झल्ली) 

वो शख्स- Wo Shakhs- एक शायरी किसी खास के लिये

वो शख्स- बस एक आश


जिसके काले, घुंघराले से बाल हैं,
जिसका रंग रूप सबसे कमाल है, 
जिसके गालों पर छायी सुबह की लालिमा है,
जिसकी आँखों में सागर सी गहरायी है,
जिसकी तस्वीर मैने अपनी कविता में दिखायी है,
जो मेरी जिन्दगी में बस 'काश' है,
वो शख्स मेरी जिन्दगी में सबसे खास है।


जिसकी मुस्कराहट में फूलों सी ताजगी है,
जिसकी हंसी में लहरों सा शोर है,
जिसके चेहरे पर नादानों सा भोलापन है,
जिसके अन्दर गुलाबों सी महक है,
जिसकी बोली में शहद सी मिठास है,
वो शख्स मेरी जिन्दगी में सबसे खास है।


जिसकी रूह में गंगा सी पवित्रता है,
जिसकी पहाड़ों सी ऊँची मानसिकता है,
जिसका रहन-सहन भी मनभावन है,
जिसका मन बच्चों सा पावन है,
जो मेरी जिन्दगी की बस आस है,
वो शख्स मेरी जिंदगी में सबसे खास है।

                                                    "मीठी"





Thursday 25 July 2019

कविता:-Ek Shakhs- एक शख्स A Poem


एक शख्स- Ek Shakhs


एक शख्स है मेरी जिन्दगी में गजलों की तरह,
अंधेरों में उजालों की तरह।
मेरे गम ए परस्ती में मुझे हसाता है वो,
मैं रूठ जाऊँ तो मुझे प्यार से मनाता है वो।
मेरी बचकानी सी हरकतों पर मुस्कराता है वो,
मेरा खिलखिलाता मजाज देखकर खिलखिलाता है वो।


एक शख्स है मेरी जिन्दगी में किताबों की तरह,
दिल में धडकते खूबसूरत जज्बात की तरह।
एक हुनर भी अपने पास रखता है वो,
दूर रहकर भी मेरे दिल में बसता है वो।
रात होते ही मेरी आँखों में उतर जाता है वो,
रोज-रोज मेरे ख्वाबों, ख्यालों में आता है वो।
मेरी अधूरी कविता को पूरी करता है वों,
मेरी रूह मेंं सरिता की तरह बहता है वो।


एक शस्स है मेरी जिन्दगी में गवारों की तरह,
कभी न मिलने वाले नदी के दो किनारों की तरह।
भूलकर भी भुलाया न जाये वो ख्याल है वो,
मेरी दुनिया में मेरे लिये सबसे कमाल है वो।
मासूमियत और सादगी में बेमिसाल है वो,


जबाव जिसका ना है कोई, वो सवाल है वो।
एक शख्स है मेरी जिंदगी में गुलाब की तरह,
मुकम्मल कभी ना हो जो उस अधूरे ख्वाब की तरह ।


                                                                                                               "मीठी"