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Sunday 4 August 2019

मीठी-मैगी की प्रेम कथा

मीठी-मैगी की प्रेम कथा


जीवन अधूरा सा उस बिन होने लगा प्रतीत,
भूल नहीं पाती मैं मधुर यादों का अतीत।

याद है मुझे वो तारीख फरवरी की,
देखते ही मन मुग्ध हो गया था उन चार आँखों पर चश्मिश,
भोले से चेहरे पर, काले घुंघराले बालों पर,

फिर ना रहा होश, न रही खबर,
आंखे उसे ढूढने लगी चारों पहर।

रोज-रोज उससे बातें करने की तमन्ना सी होने लगी,
मैं उसके ख्वाबों-ख्यालों में रात-दिन खोने लगी।

कभी उसके पहनावे को टोकती (T-Shirt), कभी बेवजह सवाल करती,
डैस्क पर बैठकर रोज उसका और उसकी बाइक का इंतजार करती,

वो था बेखवर, मेरी इन शरारतों से,
मेरे मीठे से प्यारे से, मेरे अनकहे जज्बातों से।

FB पर रोज उसकी तस्वीर निहारती, उससे  दिन रात बात करती,
एक फोन एप के जरिये मिला उसका नम्बर, फिर रोज-रोज उसकी DP, Status पर कमेंट करती।

फिर बातें बढ़ने लगी, नजदीकियाँ बढ़ने लगी,
धीर-धीरे मैं उसके इश्क के रंग में ढलने लगी।

मैने भी कर दिया उससे अपने प्यार का इजहार,
फिर मन ही मन रोया दिल, जब सुना उसका इनकार।

फिर रोका खुद को, रोका खुद के जज्बातों को,
पर रोक ना पायी सिलसिला, जो बातें होने लगी रातों को।

धीरे-धीरे बीज प्यार के मेरे लिए उसके दिल में भी उपज रहे थे,
अनसुलझे से हम दोनों के रिश्ते, धीरे-धीरे सुलझ रहे थे।

फिर यू दिल बेचैन सा रहने लगा उसकी फिक्र में,
(Khana Khaya?, Doodh Pia?)
मेरी लेखनी भी रंग गयी उसके जिक्र में।

इस अनकहे, अनोखे, निश्छल एहसास ने पहली बार दिल दस्तक दी थी,
मेरे दिलों-दिमाग, रहन-सहन सब जगह हरकत हुई थी।

कह दिया फिर उसने भी एक दिन, करता हूँ मैं भी तुमसे प्यार (03-07-18),
तुम्हारी इस सच्ची मौहब्बत, पागलपन  ने कर दिया मुझे लाचार।

हर दिन, एक नया मौसम लगने लगा था,
मन मस्त मगन, उसके लिये धडकने लगा था।

फिर यूँ आया तूफान एक दिन (रिश्ता),
कह दिया उसने, अब जी लेंगे तुम बिन।

मैने भी उसे जाने दिया था, क्यों कि मैने उसे दिल दिया था,
रोक लेती हाथ पकडकर, होती गर हासिल करने की चाह,
रहने लगी फिर उस बिन अधूरी, दिल से निकलती हर पल आह।

फिर वो लौटकर आया एक दिन,
कहा कोई तुमसा नहीं, कोई नहीं अपना तुम बिन।

एक बार फिर शुरू हुई, वो मौहब्बत की दास्तां,
एक होने लगी हमारी मंजिल, एक होने लगे रास्ते।

मुझे आज भी याद है वो अपनी पहली Date (30-12-18),
विजय ढावा पर हमने चाय आर बटर टोस्ट किया Ate.

धीरे-धीरे समय गुजरता गया,
उसका और मेरा मिलना बढता गया।

फिर आया एक वो दिन, जिसका था मुझे महीनों से इन्तजार (06-05-19),
मेरा परिवार हो गया था राजी, हम दोनों के रिश्ते को अपनाने को।

मुझे था पूरा यकीन उस पर, वो थाम लेगी मेरा हाथ (07-05-19),
पर ये भरोसा टूट गया, हमारा रिश्ता कहीं छूट गया (12-05-19)।

आज भी उसे जीता हूँ, आज भी उसके लिये मरता हूँ,
हाँ , आज भी मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ

                                                                                      "मीठी-मैगी"