थोडा सा शुरूर, हल्का सा गुरूर
वो जो एक सूरत है, बडी ही खूबसूरत है ।
सिद्दत से तलाशी हुई, खुदा की एक मूरत है ।
थोडा सा शुरूर और हल्का सा गुरूर है ।
कैसे सम्भालू खुद को उसे चाहने से,ये दिल उसकी मोहब्बत में चकनाचूर है ।
उसकी आँखों से मैं शब्द चुराकर अक्सर कविता लिखती हूँ।
हर कविता में उसको पढती हूँ, हर कविता में उसकी मूरत है ।
वो जो एक सूरत है, बडी ही खूबसूरत है ।
संजोया है उसको मैने अपनी डायरी के हर पन्ने में,
वो बेखवर रहता है, हर वक्त मेरे दिल के आशियाने में ।
वो जो उसका मासूम सा चेहरा है, मेरे दिल की एक जरूरत है,
वो जो एक सूरत है, बडी ही खूबसूरत है ।