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Thursday 17 October 2019

जिंदगी, साइकिल की जैसी है सवारी

जिंदगी, साइकिल की जैसी है सवारी 


बात है बहुत पुरानी, उम्र भी नहीं थी जब सयानी,
सुनाती थी मेरी नानी, परियों की कहानी ।

उन दिनों उम्र महज दस साल की थी,
पंचम कक्षा में पढती थी, स्कूल की टॉपर थी ।

मामा ने खुश होकर मेरे नम्बरों से एक साइकिल दिलायी थी,
देख साइकिल जैसे उपहार को मेरे मन में भी खुशहाली आयी थी ।

सफेद, गुलाब सा रंग उसका मेरे मन को भाया था,
चलाऊँगी कैसे साइकिल, यह सोच मेरा मन घवराया था ।

रोज सुबह उठकर साइकिल चलाना , एक शौक सा था,
मेरे मन के अन्दर नयी उमंग, एक अजीब शोर सा था ।

साइकिल से रिश्ता कुछ मेरा पुराना सा हो गया था,
साइकिल जब-जब चलाती , तब तब मेरा मन खोया था ।

आज फिर उस जैसी साइकिल को देखकर, मुझे अपनी साइकिल की याद आयी,
जी चाहता है चली जाऊ दोबारा उस बचपन की गलियों में जो लौटकर कभी ना आयी ।

हर वक्त है सम्भलने की ठेकेदारी ।


"झल्ली"

Friday 16 August 2019

हाँ मैं मिस करता हूं

कैसे पीछे छोड दूँ




हाँ मैं मिस करता हूं , उसके हाथ का खाना 

उसके साथ घूमने जाना, उसके  साथ बिताए लम्हे ।



हाँ मैं जानता हूं, वो आज नहीं करती अपनी मोहब्बत का इजहार

क्युकी अब उसने बसा लिया है किसी और के साथ अपना घर - संसार।



हाँ मैं जानता हूं, वो आज भी मुझसे बेइंतहा मोहब्बत करती है,

बस इस समाज और परिवार के कारण मुझे अपनाने में डरती है।



हाँ मैं जानता हूं मै ही हूं उसका पहला प्यार, जिसे वो अपना ना सकी

उसकी भी कुछ मजबूरियां रही होंगी, तभी तो मेरे साथ को अपना बना ना सकी।



हाँ मै जानता हूं कि वो नहीं आएगी अब मेरे पास ,

पर में उसका इन्तज़ार करना केसे छोड़ दू
उन प्यारे लम्हों को में कैसे पीछे छोड़ दू।


"मैगी"

Saturday 3 August 2019

प्रेम बंधन- किस्सा प्यार का

क्या हुआ, आज अगर हम साथ नहीं,
तेरे हाथों में मेरा हाथ नहीं।
फांसले कितने भी हैं हम दोनों के दरमियाँ,
फरक नहीं पडंता, मेरा रिश्ता तुझसे रूह का है,
ये किस्सा जिस्म का नहीं।


क्या हुआ, आज अगर हम साथ नहीं,
तेरे हाथों में मेरा हाथ नहीं।
रोज सवेरे सूरज की किरणों की भांति,
तेरी यादें दिल के आँगन पर दस्तक देती हैं,
मेरी उदास आँखों में चमक,
और होठों पर तबस्सुम रख देती हैं।


जिसमें तेरा जिक्र ना हो,
मेरे पास ऐसी कोई बात नहीं,
क्या हुआ, आज अगर हम साथ नहीं,
तेरे हाथों में मेरा हाथ नहीं।


मिलना और फिर बिछड़ना,
है दस्तूर मौहब्बत का,
प्यार तो एक खूबसूरत रिश्ता है, दिल का,
सांझ ढ़लते ही मेरा यू तुझे शब्दों में पिरोना,
तुझे सोचना, तुझे लिखना,
तू मेरे ख्वाबों ख्यालों में, ना आये,
जाती ऐसी कोई रात नहीं,
क्या हुआ, आज अगर हम साथ नहीं,
तेरे हाथों में मेरा हाथ नहीं।


यूँ तो कुछ अजीबों - गरीब किस्सा रहा हमारा,
प्यार अधूरा होकर भी, पूरा रहा हमारा,
कुछ अनकही सी बातों ने सबकुछ बिखेर दिया,
बहुत कुछ उलझा दिया, बस प्यार और सुलगा दिया,
पर प्रेम किसी बंधन का होता मौहताज नहीं,
क्या हुआ, आज अगर हम साथ नहीं,
तेरे हाथों में मेरा हाथ नहीं।


                                                                           "मीठी" 


Saturday 27 July 2019

याद करू या भूल जाऊ

याद करू


हे आनन्द,.... क्या तुझमें लिपटी यादें,
भूल-भूलकर खो जाऊ या,
याद करू ।

या तुझमें सारा जीवन,
बिसराऊ,
या तेरी पलकों के आँखों की मीठी मुसकानें,

यू ही अपने जीवन में,
सपना सा जान गुनगुनाऊँ ।

हे आनन्द,... बता तेरी सूरत में है क्या,
तुझे देखकर भी अनदेखा करूँ,
या नित-नित तेरी तस्वीर निहारू।

या तूझे मात्र सोचकर,
डूब जाऊँ कल्पनाओं के सागर में,

या तुझे शब्दों की माला में पिरोकर,
जीवन भर नये-नये गीत बनाऊँ । 

                                                             "मीठी"