एक शख्स- "जो अश्क दे गया"
मैं नीद तो मेरा ख्वाब है, एक शख्स
मैं अश्क तो मेरी आँख है, एक शख्स
मैं दुआ तो मेरी इबादत है, एक शख्स
मैं जज्बात तो मेरी मौहब्बत है, एक शख्स
मैं दिल तो मेरी धडकन है, एक शख्स
मैं होठ तो मेरी मुस्कान है, एक शख्स
मैं किताब तो मेरे अल्फाज है, एक शख्स
मैं गीत तो मेरा साज है, एक शख्स
मैं सूरत तो मेरी सादगी है, एक शख्स
मैं फूल तो मेरी ताजगी है, एक शख्स
मैं नदी तो मेरा नीर है, एक शख्स
मैं किरदार तो मेरी पूरी कहानी है, एक शख्स
मैं सागर तो मेरी गहराई है, एक शख्स
मैं शरीर तो मेरी परछाई है, एक शख्स
मैं जम़ी तो मेरा आसम़ा है, एक शख्स
मैं एक किस्सा और मेरी पूरी दास्तान है, एक शख्स
मैं मीरा तो मेरा कृष्ण है, एक शख्स
एक शख्स, एक शख्स, एक शख्स
मुझमे, मुझमे बस मुझमे समाया है, एक शख्स ।
"मीठी"