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Monday 30 September 2019

एक शख्स- जो अश्क दे गया

एक शख्स- "जो अश्क दे गया"


मैं नीद तो मेरा ख्वाब है, एक शख्स
मैं अश्क तो मेरी आँख है, एक शख्स
मैं दुआ तो मेरी इबादत है, एक शख्स
मैं जज्बात तो मेरी मौहब्बत है, एक शख्स


मैं दिल तो मेरी धडकन है, एक शख्स
मैं होठ तो मेरी मुस्कान है, एक शख्स
मैं किताब तो मेरे अल्फाज है, एक शख्स
मैं गीत तो मेरा साज है, एक शख्स


मैं सूरत तो मेरी सादगी है, एक शख्स
मैं फूल तो मेरी ताजगी है, एक शख्स
मैं नदी तो मेरा नीर है, एक शख्स
मैं किरदार तो मेरी पूरी कहानी है, एक शख्स


मैं सागर तो मेरी गहराई है, एक शख्स
मैं शरीर तो मेरी परछाई है, एक शख्स
मैं जम़ी तो मेरा आसम़ा है, एक शख्स
मैं एक किस्सा और मेरी पूरी दास्तान है, एक शख्स


मैं मीरा तो मेरा कृष्ण है, एक शख्स
एक शख्स, एक शख्स, एक शख्स
मुझमे, मुझमे बस मुझमे समाया है, एक शख्स ।



                                                               "मीठी"

Friday 16 August 2019

हाँ मैं मिस करता हूं

कैसे पीछे छोड दूँ




हाँ मैं मिस करता हूं , उसके हाथ का खाना 

उसके साथ घूमने जाना, उसके  साथ बिताए लम्हे ।



हाँ मैं जानता हूं, वो आज नहीं करती अपनी मोहब्बत का इजहार

क्युकी अब उसने बसा लिया है किसी और के साथ अपना घर - संसार।



हाँ मैं जानता हूं, वो आज भी मुझसे बेइंतहा मोहब्बत करती है,

बस इस समाज और परिवार के कारण मुझे अपनाने में डरती है।



हाँ मैं जानता हूं मै ही हूं उसका पहला प्यार, जिसे वो अपना ना सकी

उसकी भी कुछ मजबूरियां रही होंगी, तभी तो मेरे साथ को अपना बना ना सकी।



हाँ मै जानता हूं कि वो नहीं आएगी अब मेरे पास ,

पर में उसका इन्तज़ार करना केसे छोड़ दू
उन प्यारे लम्हों को में कैसे पीछे छोड़ दू।


"मैगी"