एक शख्स- Ek Shakhs
एक शख्स है मेरी जिन्दगी में गजलों की तरह,
अंधेरों में उजालों की तरह।
मेरे गम ए परस्ती में मुझे हसाता है वो,
मैं रूठ जाऊँ तो मुझे प्यार से मनाता है वो।
मेरी बचकानी सी हरकतों पर मुस्कराता है वो,
मेरा खिलखिलाता मजाज देखकर खिलखिलाता है वो।
एक शख्स है मेरी जिन्दगी में किताबों की तरह,
दिल में धडकते खूबसूरत जज्बात की तरह।
एक हुनर भी अपने पास रखता है वो,
दूर रहकर भी मेरे दिल में बसता है वो।
रात होते ही मेरी आँखों में उतर जाता है वो,
रोज-रोज मेरे ख्वाबों, ख्यालों में आता है वो।
मेरी अधूरी कविता को पूरी करता है वों,
मेरी रूह मेंं सरिता की तरह बहता है वो।
एक शस्स है मेरी जिन्दगी में गवारों की तरह,
कभी न मिलने वाले नदी के दो किनारों की तरह।
भूलकर भी भुलाया न जाये वो ख्याल है वो,
मेरी दुनिया में मेरे लिये सबसे कमाल है वो।
मासूमियत और सादगी में बेमिसाल है वो,
जबाव जिसका ना है कोई, वो सवाल है वो।
एक शख्स है मेरी जिंदगी में गुलाब की तरह,
मुकम्मल कभी ना हो जो उस अधूरे ख्वाब की तरह ।
"मीठी"