Showing posts with label poem. Show all posts
Showing posts with label poem. Show all posts

Monday 5 August 2019

मेरी चाहत

मेरी चाहत


नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारी आँखों का अश्क,
मैं तो बस तुम्हारे होठों की मुस्कान बनना चाहती हूँ।

नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारे लवों की चुप्पी,
मैं तो बस तुम्हारे लवों की मीठी बोली बनना चाहती हूँ।

नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारे चेहरे की सिकन,
मैं तो बस तुम्हारे चेहरे का नूर बनना चाहती हूँं।

नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारे जेहन की बेचैनी,
मैं तो बस तुम्हारे जेहन का सुकून बनना चाहती हूँ।

नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारे जीवन का अंधेरा,
मैं तो बस तुम्हारे जीवन  की रोशनी बनना चाहती हूँ।

नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारे तकदीर की चुनौती,
मैं तो बस तुम्हारी तकदीर को चमकाना चाहती हूँ।

नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारी यादों का अधूरा किस्सा,
मैं तो तो बस तुम्हारी यादों का खूबसूरत हिस्सा बनना चाहती हूँ।

नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारी बर्बादी का कारण,
मैं तो बस तुम्हारी जिन्दगी आबाद देखना चाहती हूँ।

नहीं बनना चाहती मैं तुम्हारे दिल का दर्द,
मैं तो बस तुम्हारे दिल की राहत बनना चाहती हूँ।

नहीं बनना चाहती जैसे कृष्ण की रूक्मणी,
मैं तो बस तेरी राधा बनना चाहती हूँ।

                                                                          "मीठी"

Thursday 1 August 2019

मेरा प्यार, मेरा दर्द

एक लड़का था जो मुझे मुझसे ज्यादा चाहता था,
रोज सवेरे वो मेरी दिल की कैरी में दस्तक देकर,
कुछ अरमान लेकर, कुछ सौगात लेकर,
मुझे मुस्कराने की वजह देकर,
मुझे हर रोज जीने का सलीका सिखाया करता था।


मेरी उदास जिन्दगी में वो खुशियाँ लेकर आया था,
प्यार क्या होता है, खामोश रहकर उसने मुझे बतलाया था,
मेरे बिन कहे ही सबकुछ वो मेरी बात समझता था,
एक लड़का था जो मुझे मुझसे ज्यादा चाहता था।


मैं अक्सर जब उससे रूठ जाया करती थी,
उदास हो जाती थी, रो जाया करती थी,
वो अपनी बचकानी सी हरकतों से मुझे हँसाया करता था,
एक लड़का था जो मुझे मुझसे ज्यादा चाहता था।


आज वो बहुत दूर है मुझ से, फिर भी कोई गिला नहीं,
प्यार हम दोनों के दरमयाँ, कभी कम हुआ नहीं,
दूर रहकर वो मेरी परवाह बहुत करता था,
एक लड़का था जो मुझे मुझसे ज्यादा चाहता था।


था मुझमें भी लिखने का शौक, उसके लिये,
मेरे मन मे अगर सच्चे जज्बात थे, तो उसके लिये,
जितना उसके लिये लिखती थी, उतना कम पड़ता था,
एक लड़का था जो मुझे मुझसे ज्यादा चाहता था


                                                                          "मीठी"

Thursday 25 July 2019

कविता:-Ek Shakhs- एक शख्स A Poem


एक शख्स- Ek Shakhs


एक शख्स है मेरी जिन्दगी में गजलों की तरह,
अंधेरों में उजालों की तरह।
मेरे गम ए परस्ती में मुझे हसाता है वो,
मैं रूठ जाऊँ तो मुझे प्यार से मनाता है वो।
मेरी बचकानी सी हरकतों पर मुस्कराता है वो,
मेरा खिलखिलाता मजाज देखकर खिलखिलाता है वो।


एक शख्स है मेरी जिन्दगी में किताबों की तरह,
दिल में धडकते खूबसूरत जज्बात की तरह।
एक हुनर भी अपने पास रखता है वो,
दूर रहकर भी मेरे दिल में बसता है वो।
रात होते ही मेरी आँखों में उतर जाता है वो,
रोज-रोज मेरे ख्वाबों, ख्यालों में आता है वो।
मेरी अधूरी कविता को पूरी करता है वों,
मेरी रूह मेंं सरिता की तरह बहता है वो।


एक शस्स है मेरी जिन्दगी में गवारों की तरह,
कभी न मिलने वाले नदी के दो किनारों की तरह।
भूलकर भी भुलाया न जाये वो ख्याल है वो,
मेरी दुनिया में मेरे लिये सबसे कमाल है वो।
मासूमियत और सादगी में बेमिसाल है वो,


जबाव जिसका ना है कोई, वो सवाल है वो।
एक शख्स है मेरी जिंदगी में गुलाब की तरह,
मुकम्मल कभी ना हो जो उस अधूरे ख्वाब की तरह ।


                                                                                                               "मीठी"