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Saturday 27 July 2019

मुझे अब तुझसे दूर जाना है

मुझे अब तुझसे दूर जाना है


आठों पहर आने वाली, तेरी यादों के सहारे, 
अब हँसना और जीना है, मुझे अब तुझसे दूर जाना है ।

पहलू से अब तेरे खुद को सिमेटना है,
पास रहकर अब तेरे, तुझे नहीं और सताना है।

मुझे अब तुझसे दूर जाना है।

है तुझसे  बेहद प्यार, अब यह अहसास तुझे नहीं दिलाना है,
तेरे और तेरे अपनों की खुशी के लिये, मुझे अब तुझसे दूर जाना है।


रहे तू आबाद अपनी दुनिया में, अब यही एक सजदा खुदा से करना है,
तेरे एक-एक जख्म को अपनी दुआओं से भरना है ।

मुझे अब तुझसे दूर जाना है । 


"मीठी"

विरह: बिखरी यादों का संसार

विरह: बिखरी यादों का संसार



तेरी मीठी यादों का झराना, जब-जब दरिया ए दिल में गिरता है।
झर-झऱ लहरोंं सा शोर मेरे अन्तर्मन में भी बजता है।


तेरी यादों का झोका भी हवा की भाँति चलता है,
आता है जाता है फिर दब कर कहीं आँखों में रूक जाता है ।
आता है जाता है फिर थक कर कहीं आँखों में रूक जाता है ।

कुछ बिखरी यादों का संसार लिये, एक विरह की आग लिये,
अब तन-मन हर रोज मेरा जलता है, लहरों सा शोर मेरे मन में बजता है ।
झर-झऱ लहरोंं सा शोर मेरे अन्तर्मन में बजता है।



                                                                                                                          "मीठी"