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Saturday 27 July 2019

विरह: बिखरी यादों का संसार

विरह: बिखरी यादों का संसार



तेरी मीठी यादों का झराना, जब-जब दरिया ए दिल में गिरता है।
झर-झऱ लहरोंं सा शोर मेरे अन्तर्मन में भी बजता है।


तेरी यादों का झोका भी हवा की भाँति चलता है,
आता है जाता है फिर दब कर कहीं आँखों में रूक जाता है ।
आता है जाता है फिर थक कर कहीं आँखों में रूक जाता है ।

कुछ बिखरी यादों का संसार लिये, एक विरह की आग लिये,
अब तन-मन हर रोज मेरा जलता है, लहरों सा शोर मेरे मन में बजता है ।
झर-झऱ लहरोंं सा शोर मेरे अन्तर्मन में बजता है।



                                                                                                                          "मीठी"

Friday 26 July 2019

वो शख्स- Wo Shakhs- एक शायरी किसी खास के लिये

वो शख्स- बस एक आश


जिसके काले, घुंघराले से बाल हैं,
जिसका रंग रूप सबसे कमाल है, 
जिसके गालों पर छायी सुबह की लालिमा है,
जिसकी आँखों में सागर सी गहरायी है,
जिसकी तस्वीर मैने अपनी कविता में दिखायी है,
जो मेरी जिन्दगी में बस 'काश' है,
वो शख्स मेरी जिन्दगी में सबसे खास है।


जिसकी मुस्कराहट में फूलों सी ताजगी है,
जिसकी हंसी में लहरों सा शोर है,
जिसके चेहरे पर नादानों सा भोलापन है,
जिसके अन्दर गुलाबों सी महक है,
जिसकी बोली में शहद सी मिठास है,
वो शख्स मेरी जिन्दगी में सबसे खास है।


जिसकी रूह में गंगा सी पवित्रता है,
जिसकी पहाड़ों सी ऊँची मानसिकता है,
जिसका रहन-सहन भी मनभावन है,
जिसका मन बच्चों सा पावन है,
जो मेरी जिन्दगी की बस आस है,
वो शख्स मेरी जिंदगी में सबसे खास है।

                                                    "मीठी"