याद करू
हे आनन्द,.... क्या तुझमें लिपटी यादें,
भूल-भूलकर खो जाऊ या,
याद करू ।
या तुझमें सारा जीवन,
बिसराऊ,
या तेरी पलकों के आँखों की मीठी मुसकानें,
यू ही अपने जीवन में,
सपना सा जान गुनगुनाऊँ ।
हे आनन्द,... बता तेरी सूरत में है क्या,
तुझे देखकर भी अनदेखा करूँ,
या नित-नित तेरी तस्वीर निहारू।
या तूझे मात्र सोचकर,
डूब जाऊँ कल्पनाओं के सागर में,
या तुझे शब्दों की माला में पिरोकर,
जीवन भर नये-नये गीत बनाऊँ ।
"मीठी"
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