Saturday 27 July 2019

याद करू या भूल जाऊ

याद करू


हे आनन्द,.... क्या तुझमें लिपटी यादें,
भूल-भूलकर खो जाऊ या,
याद करू ।

या तुझमें सारा जीवन,
बिसराऊ,
या तेरी पलकों के आँखों की मीठी मुसकानें,

यू ही अपने जीवन में,
सपना सा जान गुनगुनाऊँ ।

हे आनन्द,... बता तेरी सूरत में है क्या,
तुझे देखकर भी अनदेखा करूँ,
या नित-नित तेरी तस्वीर निहारू।

या तूझे मात्र सोचकर,
डूब जाऊँ कल्पनाओं के सागर में,

या तुझे शब्दों की माला में पिरोकर,
जीवन भर नये-नये गीत बनाऊँ । 

                                                             "मीठी"

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